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Showing posts from October, 2020

आसन उत्तराखंड का पहला रामसर साइट

भारत में अब 38 वेटलैंड हो गए हैं। रामसर सम्मेलन संधि के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की मान्यता वाली सूची में एक और आर्द्रभूमि जुड़ी है। देहरादून स्थित आसन संरक्षण रिजर्व उत्तराखंड में रामसर से मान्यता प्राप्त करने वाला पहली आर्द्रभूमि है। संधि पर 1971 में ईरान के शहर रामसर में हस्ताक्षर किए गए थे। यह आर्द्रभूमि के पारिस्थितिक चरित्र के संरक्षण के लिए सबसे पुराने अंतर-सरकारी समझौतों में से एक है। इसे आर्द्रभूमि पर संधि के तौर भी जाना जाता है। इसका उद्देश्य जैविक विविधता का संरक्षण और मानव जीवन को बनाए रखने के लिए आर्द्रभूमि का एक वैश्विक तंत्र विकसित करना है। आसन संरक्षण रिजर्व में दुर्लभ प्रजातियां पायी जाती हैं। यहां मछलियां अंडे देती हैं और यहां काफी संख्या में जैव विविधता है।

अंतुर किला- सड़क मार्ग न होने कारण देखने नहीं आ पाते पर्यटक

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 15वीं शताब्दी का एक किला अपनी मजबूत दीवारों और मेहराब के साथ अच्छी हालत में है, इसके बावजूद वह पर्यटकों का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाता क्योंकि किले तक पहुंचने का कोई सड़क मार्ग नहीं है।  निजाम शाही राजवंश के दौरान निर्मित अंतुर का किला इस समय राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। चारों तरफ से जंगल से घिरा यह किला औरंगाबाद शहर से 104 किलोमीटर दूर स्थित है। राज्य किला संरक्षण समिति के पूर्व सदस्य संकेत कुलकर्णी ने कहा कि पर्यटक, अंतुर से 30 किलोमीटर दूर स्थित गौटला वन्यजीव संरक्षण उद्यान जाते हैं लेकिन किले को देखने नहीं आते क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए उचित सड़क मार्ग नहीं है। किले तक पहुंचने के लिए कोलतार की सड़क नहीं है। जंगल से होकर लगभग साढ़े छह किलोमीटर का रास्ता है जिसे हर मौसम में काम आने वाली सड़क के रूप में विकसित किया जा सकता है।  कुलकर्णी ने कहा कि इस क्षेत्र में कोई उद्योग नहीं है और यदि पर्यटक किले को देखने के लिए आने लगें तो आसपास के गांवों की आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी।  उन्होंने कहा, किले तक आने वाली एक सड़क की जरूरत है जिससे वन और पुरातत्व विभाग क

पटनीटॉप रोपवे का परिचालन शुरू

कोरोना महामारी के कारण छह महीने से भी अधिक समय तक बंद रहने के बाद जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में स्थित पटनीटॉप रोपवे का  परिचालन शुरू किया गया।  ‘इंपीरियन स्काईव्यू प्रोजेक्ट’ भारत का सबसे ऊंचा रोपवे है जो  जमीन से करीब 65 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर है। पिछले साल 20 जुलाई को रोपवे का परिचालन शुरू किया गया था। प्रोजेक्ट के प्रबंध निदेशक सैयद जुनैद अल्ताफ ने कहा, इंपीरियन के विश्व स्तरीय एकीकृत पर्वतीय पर्यटन अवसंरचना गंतव्य बनाने के नजरिये से तैयार यह रोपवे एक बार फिर आगंतुकों के स्वागत के लिए खुल गया है। 

दुधवा नेशनल पार्क खुलेगा

 उत्तर प्रदेश के वन्य जीव अभ्यारण्य दुधवा नेशनल पार्क को 15 नवम्बर से खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। कोरोना काल में खुलने जा रहे दुधवा में इस बार जंगल सफारी और सैलानियों के लिए नई गाइड लाइन तैयार की जा रही है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक जंगल सफारी के दौरान जिप्सी में चार लोगों से ज्यादा नहीं रहेंगे। 

दुर्गाकुंड मंदिर का पोस्टर

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वाराणसी के लोकप्रिय दुर्गा कुंड स्थित मंदिर पर यूपी के पर्यटन विभाग ने एक पोस्‍टर जारी किया है। दुर्गा कुंड स्थित दुर्गा मंदिर पर पर्यटन विभाग की ओर से देर रात की रोशनी में लालिमा से युक्‍त कुंड और मंदिर की भव्‍य तस्‍वीर पर पोस्‍टर जारी होने के बाद से ही सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है।  पोस्‍ट में कई पर्यटन को बढावा देने वाले हैशटैग भी जारी किए गए हैं। पोस्‍टर के साथ ही यूपी टूरिज्‍म के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से जारी पोस्‍ट में मंदिर के बारे में जानकारी भी दी गई है। पोस्‍ट में लिखा गया है कि - यहां लाल दीवारों और नीची सी छत से बने एक छोटे से गर्भगृह में मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा विराजमान है। चौकोर कुंड के पास नागर शैली में बना ये मंदिर वाराणसी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। 

बदरीनाथ, केदारनाथ जा सकेंगे हर रोज तीन हजार श्रद्धालु

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उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध धामों , बदरीनाथ और केदारनाथ के दर्शन को जाने वाले श्रद्धालुओं की अधिकतम सीमा में बढ़ोतरी करते हुए अब प्रतिदिन तीन हजार कर दिया गया है। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड ने गंगोत्री धाम के लिए श्रद्धालुओं की अधिकतम संख्या 900 और यमुनोत्री धाम के लिए 700 कर दी गई है। हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग कर धामों का दर्शन करने आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या हालांकि इसमें शामिल नहीं है।

वैष्णो देवी के लिए आईआरसीटीसी का पैकेज

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अगर आप माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आईआरसीटीसी आपके लिए बहुत शानदार पैकेज लेकर आया है. इस टूर पैकेज का नाम माता वैष्णो देवी यात्रा पैकेज रखा गया है। आस्था सर्किट स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन के तहत ये टूर पैकेज दिया जाएगा। ये ट्रेन 29 अक्तूबर 20 20 को राजगीर से सुबह 11 बजे चलाई जाएगी. ये टूर 05 नवंबर 20 20 को खत्म होगा। इस टूर पैकेज के तहत यात्रियों को माता वैष्णो देवी. हरिद्वार   और ऋषिकेश ले जाया जाएगा। इस ट्रेन में स्लीपर क्लास के डिब्बे लगाए जाएंगे. इस टूर पैकेज का किराया 7560 रुपये प्रति व्यक्ति रखा गया है. इस ट्रेन में राजगीर, बिहार शरीफ,   फतुह,    पटना, जहानाबाद ,   गया, डेहरी ऑनसोन,   सासाराम   और दीन दयाल उपाध्याय जंग्शन से यात्री चढ़ सकेंगे।  

रिकॉर्ड यात्री केदारनाथ पहुंचे

केदारनाथ धाम में इस यात्रा सीजन में पहली बार एक दिन में 2648 यात्री दर्शनों को पहुंचे। इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के केदारनाथ आने से उन्हें रहने और खाने की समस्या से भी जूझना पड़ा। अबतक 14106 यात्री बाबा के दर्शन कर चुके हैं। उम्मीद है आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में यात्री दर्शनों को पहुंचेगे। शनिवार को केदारनाथ में रिकॉर्ड 2648 यात्री दर्शनों को पहुंचे , जिसमें 1567 पुरूष यात्री , 1003 महिला और 78 बच्चे शामिल थे। अब तक इस यात्रा सीजन में कुल 14106 यात्री दर्शनों को आ चुके हैं।  

केदारनाथ हेली सेवा 09 अक्तूबर से शुरू होंगी

केदारनाथ के लिए   हेली सेवा नौ अक्तूबर से शुरू होगी।   इससे पहले डीजीसीए की टीम हैलीपैड और अन्य सुविधाओं का निरीक्षण करेंगी। हेलीसेवा के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग प्रारंभ हो गई हैं। उकाडा ने चयनित ऑपरेटर को अब हेलीसेवा प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान कर दी है। उकाडा ने यात्रियों के लिए एसओपी भी जारी कर दी है। किराया -  गुप्तकाशी से - 3875 फाटा से - 2360    सिरसी से - 2340 https://heliservices.uk.gov.in     ऋषिकेश - श्रीनगर मार्ग 10 अक्तूबर से खुलेगा 10 अक्तूबर से ऋषिकेश - श्रीनगर मार्ग पर वाहन चलने लगेंगे। इससे चारधाम यात्रियों के साथ लोकल यात्रियों का सफर भी आसान होगा। तोताघाटी - देवप्रयाग के बीच पहाड़ कटान कार्य के कारण यह मार्ग तीन माह से बंद है। इस मार्ग के खुलने से श्रीनगर - रुद्रप्रयाग समेत पहाड़ के दूसरे कई रूटों पर सफर करने वाले यात्रियों की परेशानी दूर हो जाएगी।      

अब सालों भर जा सकेंगे लेह

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3 अक्टूबर 2020 को मनाली लेह के बीच अटल सुरंग के उदघाटन के साथ ही लेह की यात्रा आसान हो गई है। इससे सालों भर सड़क मार्ग से लेह जाया जा सकेगा। जून 2010 में सोनिया गांधी ने मनाली से लेह के बीच सुरंग बनाए जाने की आधारशिला रखी थी।   रोहतांग में स्थित 9.02 किलोमीटर लंबी ये टनल मनाली को लाहौल स्फीति से जोड़ती है। इस टनल की वजह से मनाली और लाहौल स्फीति घाटी सालों भर एक-दूसरे से जुड़े रह सकेंगे। इससे पहले बर्फबारी की वजह से लाहौल स्फीति घाटी साल के 6 महीनों तक देश के बाकी हिस्सों से कट जाती थी। वास्तव में अटल टनल का आकार घोड़े की नाल जैसा है। इसका दक्षिणी किनारा मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है , जबकि उत्तरी किनारा लाहौल घाटी में तेलिंग और सिस्सू गांव के नजदीक समुद्र तल से 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ( ATAL TUNNEL, MANALI, LEH, LADDAKH )